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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

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हिन्दी काव्य का इतिहास

अध्याय - 12

छायावाद

 

प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?

अथवा
छायावाद की परिभाषा एवं उसके उद्भव में राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, साहित्यिक परिवेश का विश्लेषणात्मक मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर -

छायावादी युग (1918-1939 ई0) - लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय के शब्दों में 'द्विवेदी युग' की काव्यगत इतिवृत्तियों तथा स्थूलता और आदर्शों की प्रतिक्रिया और अंग्रेजों के रोमान्टिक कवियों की काव्य रचना के अध्ययन के फलस्वरूप छायावाद का जन्म हुआ।

छायावाद की परिभाषाएँ तथा नामकरण - मुकुटधर पाण्डेय ने सर्वप्रथम व्यंग्यात्मक रूप में शब्द का स्वच्छन्दतावादी नवीन अभिव्यक्तमय रचनाओं के लिए प्रयोग किया। जो बाद में इस कविता के लिए रूढ़ हो गया और स्वच्छन्दतावादी कवियों ने इसे अपना लिया।

जयशंकर प्रसाद के शब्दों में, "अपने भीतर से पानी की तरह अन्तः स्पर्श करके भाव समर्पण करने वाली अभिव्यक्ति छाया - कान्तिमय होती है।'

आचार्य नन्ददुलारे बाजपेई के शब्दों में, "मानव अथवा प्रकृति के सूक्ष्म किन्तु व्यक्त सौन्दर्य में आध्यात्मिक छाया का भाव मेरे विचार में छायावाद की एक सर्वमान्य व्याख्या हो सकती है।'

डॉ. देवराज के शब्दों में, "डॉ. देवराज कहते हैं कि छायावाद गीतकाव्य है, प्रकृति काव्य है, प्रेमकाव्य है।'

डॉ. रामविलास शर्मा के शब्दों में, “छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह नहीं रहा वरन् थोथी नैतिकता रूढ़िवाद और सामन्ती साम्राज्यवादी बन्धनों के प्रति विद्रोह रहा है।"

डॉ. नगेन्द्र के शब्दों में, “छायावाद एक विशेष प्रकार की भाव पद्धति है, जीवन के प्रति एक विशेष भावात्मक दृष्टिकोण है। इस प्रकार डॉ. नगेन्द्र ने छायावाद को स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह कहा है।"

महादेवी वर्मा के शब्दों में, "छायावाद ने मनुष्य के हृदय और प्रकृति के उस सम्बन्ध में प्राण डाल दिये जो प्राचीनकाल से बिम्ब प्रतिबिम्ब के रूप में चला आ रहा था और जिसके कारण मनुष्य को प्रकृति अपने दुःख में उदास और पुलकित जान पड़ती थी।'

रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में, "छायावाद छन्द का प्रयोग दो अर्थों में समझना चाहिए एक तौ रहस्यवाद के अर्थ में जहाँ उसका सम्बन्ध काव्य वस्तु से होता अर्थात् यहाँ कवि अनन्त और अज्ञात प्रियतम को आलम्बन कर अत्यन्त चित्रमयी भाषा में प्रेम की अनेक प्रकार से व्यंजना करता है। छायावाद का दूसरा प्रयोग काव्य शैली या पद्धति विशेष के व्यापक अर्थ में है।'

डॉ. राजकुमार के शब्दों में, "परमात्मा की छाया आत्मा में पड़ने लगती है और आत्मा की छाया परमात्मा में यही छायावाद है।"

श्री शान्ति प्रिय द्विवेदी के शब्दों में, "छायावाद एक दार्शनिक अनुभूति है। '

छायावाद का परिवेश हिन्दी की छायावादी काव्यधारा का उद्भव तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और साहित्यिक परिस्थितियों में देखा जा सकता है। इन परिस्थितियों का अध्ययन इस कविता की धारा के सम्यक् विश्लेषण के लिए आवश्यक है।

(1) राजनीतिक परिवेश - छायावादी काव्य की वेदना और निराश का सम्बन्ध प्रथम महायुद्ध के बाद अंग्रेजी शासन का अपने वचनों को पूरा न करना, रोलेक्ट एक्ट तथा 1919 के अवज्ञा आन्दोलन की असफलता के साथ जोड़ा है। छायावाद का जन्म हुआ उस समय राष्ट्रीय आन्दोलन चल रहे थे और यदि वे न भी होते तब भी छायावादी काव्य का जन्म अवश्यभावी था और उसका स्वरूप भी नहीं होता जो अब हमारे सामने है। डॉ. शिवदान सिंह चौहान के शब्दों में "यदि हमारा देश पराधीन न होता और हमारे यहाँ राष्ट्रीय आन्दोलन की आवश्यकता न रही होती, तो भी आधुनिक औद्योगिक समाज (पूँजीवाद) का विकास होते ही काव्य में स्वच्छन्दतावादी भावना और व्यक्तिवाद की प्रवृत्ति मुखर हो उठती। इसलिए छायावादी कविता राष्ट्रीय आन्दोलन या जागृति का सीधा परिणाम नहीं, बल्कि पाश्चात्य अर्थव्यवस्था और संस्कृति के सम्पर्क में आने के परिणामस्वरूप हमारे देश और समाज के बाहरी और भीतरी जीवन में प्रत्यक्ष और परोक्ष परिवर्तन हो रहे थे। उन्होंने जिस तरह सामूहिक व्यवहार कर्म के क्षेत्र में राष्ट्रीय एकता की भावना जगाई और राष्ट्रीय संघर्ष की प्रेरणा दी, इसी तरह सांस्कृतिक क्षेत्र में उसने स्वच्छन्दतावाद की प्रवृत्ति की प्रेरणा दी।' इस दृष्टि से ही हम कह सकते हैं कि देश की प्राचीन संस्कृति और पाश्चात्य काव्य के प्रभावों को ग्रहण करती हुई छायावादी कविता राष्ट्रीय जागरण के कोढ़ में पनपी और फूली-फली।

(2) धार्मिक परिवेश - छायावादी काव्य दर्शन प्राचीन अद्वैतवाद तथा सर्वात्मवाद से प्रभावित है। महादेवी वर्मा के शब्दों में छायावादी कवि धर्म के अध्यात्म से अधिक दर्शन के ब्रह्म का ऋणी है जो और अमूर्त विश्व को मिलाकर पूर्णता पाता है। छायावादी कवि हृदय ही भाव भूमि पर प्रकृति में बिखरी सौन्दर्य की रहस्यमयी अनुभूति कर सुख-दुःखों को मिलाकर एक ऐसी काव्य सृष्टि करता है, जो प्रकृतिवाद, छायावाद, अध्यात्मवाद, रहस्यवाद, छायावाद के नामों से अभिहित की जाती है। छायावादी काव्य पर रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, गाँधी, टैगोर तथा अरविन्द के दर्शनों का गहन प्रभाव पड़ा।

(3) सामाजिक परिवेश - पाश्चात्य शिक्षा संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था के प्रभाव के परिणामस्वरूप भारतीय समाज के सम्पूर्ण जीवन में विचारों में एक नूतन क्रान्ति आई जिसने एक ओर हमारे देश में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रीय क्रान्ति को जन्म दिया वहाँ दूसरी ओर सांस्कृति क्षेत्र में स्वच्छन्दतवादी प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया। देश के नवयुवकों में वैयक्तिक, पारिवारिक एवं सामाजिक परिवेश में भी पर्याप्त अन्तर आया। स्वच्छन्दतावादी नवीन पीढ़ी धार्मिक, सामाजिक रूढियों, जाँति- पाँति के अन्धविश्वासों तथा मिथ्या आडम्बरों को छिन्न-भिन्न करने को तत्पर थी जबकि दूसरी ओर पुरानी पीढ़ी की समस्त रूढ़ियाँ, अडिग चट्टान के समान थी। जो कि उनके स्वप्नों के स्वर्णिम संसार को नष्ट करने में सक्षम है जिसके परिणामस्वरूप जीवन में अतृप्ति, निराश एवं कुष्ठा की भावनाएँ वृद्धि को प्राप्त होती हुई छायावादी काव्य में अभिव्यक्ति हुई। इस प्रकार की सामाजिक स्थिति में छायावादी काव्य में व्यक्तिवाद का प्राधान्य और स्वच्छन्दतावाद दुहा देना स्वाभाविक था।

(4) साहित्यिक परिवेश - अंग्रेजी साहित्य के रोमाण्टिसिज्म (स्वच्छन्दतावाद) का हिन्दी के छायावादी काव्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अंग्रेजी साहित्य की स्वच्छन्दतावादी काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ- "प्राचीन रूढ़ियों के प्रति विद्रोह मानवतावाद, वैयक्तिक प्रेम की अभिव्यंजना, रहस्यात्मकता सौन्दर्य का सूक्ष्म चरित्र, प्रकृति में चेतना का आरोप, रीति शैली और व्यक्तिवाद आदि हिन्दी के छायावाद में समान रूप में मिलती है।' बंगला साहित्य अंग्रेजी साहित्य के रोमाण्टिसिज्म से प्रभावित हो चुका था। अतः हिन्दी छायावादी कवियों ने भी आंग्ल प्रभाव ग्रहण करने में संकोच नहीं किया। छायावादी केवल स्वच्छन्दतावाद की अन्धानुकृति मात्र नहीं अपितु छायावाद का उद्भव भारत की संस्कृति और सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप हुआ। छायावादी कवि का जीवन और जगत के प्रति अपना स्वयं का दृष्टिकोण है। अन्तर यही है कि छायावाद और स्वच्छन्दतावाद की उदयकालीन परिस्थितियों में गहरा साम्य है।

उपयुक्त परिवेश में छायावादी काव्यधारा का उदय हुआ फिर क्या था मेघों के वनों के बीच में गुलाबी रंग के बिजली के फूल खिलने लगे। व्यथित व्योम गंगा-सी चेतना तरंगे हिलोरें लेने लगी अभिलाषाएँ करवटें बदलने लगीं। सुप्त व्यथाएँ जगने लगीं। कवि का मानस उन्मुक्त होकर कल्पना के पंख फैलाकर नील गगन में विचरण करने लगा। इस प्रकार स्वर्णिम अभिरामता के लिए परियों के समूह सा छायावाद धीरे-धीरे आधुनिक साहित्य जगत पर अवतीर्ण हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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